राग भैरवी
सोये हैं गोराचांद विचित्र पलंग पर,
शयन-मन्दिर में शय्या अति मनोहर ।
प्रेमालस में अवश हैं नटराज गौर,
कैसे कहूं अंग-शोभा, शब्द नहीं और ।
मेघ[1] की बिजली[2] किसीने छानकर,
गोरा-अंग बनाया रस घोलकर … Read more >
राग भैरवी
सोये हैं गोराचांद विचित्र पलंग पर,
शयन-मन्दिर में शय्या अति मनोहर ।
प्रेमालस में अवश हैं नटराज गौर,
कैसे कहूं अंग-शोभा, शब्द नहीं और ।
मेघ[1] की बिजली[2] किसीने छानकर,
गोरा-अंग बनाया रस घोलकर … Read more >
Rādhe Rādhe & daṇḍavat praṇāṁ!
A good news for all the devotees — now we’re offering e-book versions of the ras-books which were
available for sale earlier! So get ready to DIVE NOW!!!
जय शची-नन्दन भुवन आनन्द !
नवद्वीप में उछले नव-रस-कन्द !
गो-क्षूर धूल देखकर, सुन वेणू-निसान,
“अपरूप श्याम मधुर-मधुर-अधर मृदु मुरली-गान”
ऐसा कहकर भाव-विवश गौर, कहे गदगद बात,
“श्याम सुनागर वन से आवत सब सहचरों के साथ ।
मेरे तन मन … Read more >
राधा-माधव उठे शयन से अलस-अवश शरीर,
वनेश्श्वरी उस क्षण करके जतन लायी शारी-शुक कीर[1] ।
शुक-शारी को देखकर दोनों को हुआ आनन्द,
राई के इशारे पे वृन्दा पढ़ावे गीत-पद्य सुछन्द[2] ।
कानू के रूप लक्षण शुक करे वर्णन,… Read more >
भ्रमत गहन वन में जुगल-किशोर,
संग सखीगण आनन्द-विभोर ।
एक सखी कहे, “देखो देखो सखियन,
कैसे एक दूजे को देखें, अपलक अंखियन !’’
पेड़ हैं पुलकित, खुशबू[1] पाकर भ्रमर-गण
उनकी ओर[2] भागे त्यज फूलों का वन ।
दोनों … Read more >
दोनों के चेहरे देखकर दोनों को हुआ धन्द[1],
राई कहे तमाल, तो माधव कहे चन्द ।
कहे राई, ‘’यह रूप है बड़ा अपरूप,
साक्षात में होवे चमत्कार,
तरुण तमाल है क्या ? नवमेघ है क्या ?
क्या यह है इन्द्रनीलमणि ?
तुलसी वहां आकर बताये सब खबर
सुनकर सुवदनी हरषाये,
राई कण्ठ में ललिता पहिनाये गुंजा-मालिका
कानों में चम्पक दिये ।
राधिका रूपसी साथ है तुलसी
कहे मधुर कथा
करो इसी क्षण कानन में गमन
नागर-शेखर यथा ।
माधव बैठे कुंड के तीर
सोच सोचकर सुन्दरी बाट देखें श्री हरि
बेचैन दिल न रहे स्थिर