५
वृन्दा के इशारे पर वानर और वानरी आकर कहेंगे, “ हे सुन्दरी, सुनो सुनो , वह बूढ़ी अम्मा आ रही है ।” यह सुनकर धनी गिरिधारी के हाथ पकडकर, कुंज से जल्दी बाहर आ जाएगी । अपने मुँह से … Read more >
५
वृन्दा के इशारे पर वानर और वानरी आकर कहेंगे, “ हे सुन्दरी, सुनो सुनो , वह बूढ़ी अम्मा आ रही है ।” यह सुनकर धनी गिरिधारी के हाथ पकडकर, कुंज से जल्दी बाहर आ जाएगी । अपने मुँह से … Read more >
Radhe Radhe !
Mann Bajaj, my friend, sent me this one. i wish i could love my Beloved Krishna in the same manner.
My wife called, ‘How long will you be with that newspaper? Will you come here & make … Read more >
पीताम्बर घनश्याम द्विभुज सुन्दर,
कण्ठ में वनमाला, गुंजे मधुकर ।
शची मां कितने ही भुषणों से
सजा रही हैं गोराचांद को प्यार से ।
करके पिछ्ली यादें , प्रभु विभोर हुये,
पार्षदों को लेकर प्रभु भाव में डूब गये ।
रसोई से मलिना हुयी हसीना
बैठीं बाहर आकर,
पसीने से टलमल वह अंग झलमल
जैसे हों दिनकर ।
शीतल जल से निर्मल सुगंध से
भरकर सोने के गिलास,
बड़े सावधानी से और प्यार से
रखा हर आसन के पास ।
राई को देखकर जोश में आकर
मैया ने उठाया गोदी में,
चिबुक पकड़कर चुम्बन देकर
भीगीं आंसूवन में ।
सुन्दरी राधा सखी संग जाई,
नन्दालय के पथ पर लेकर बधाई ।
१
हिरण्यांगी सखी आयी उसी क्षण,
राई कहे – कहां से हुआ आगमन ?