जटीला कह रही है –

 

करो तैयारियां              सभी सखियां

                होकर तुम तत्पर,

सावधान बनके              सुर्यपूजा करके,

                जल्दी लौटना घर ।

जटीला को भी है राई से प्यार

प्यारी  कुन्दलता            विशाखा ललिता

                ले आईं राई को घर,

राधिका रतन                        करके जतन

                सौंपा जटीला के कर

गोवर्धन में आनन्द भयो, जय कन्हैयालाल की !

आज वन में आनन्द रसिया

खेल-मस्ती  में मस्त होकर               राखाल झूमे विभोर होकर

                        और दूर चलीं गयीं गैया ।

कान्हा को विदा करते हुये

मैया अंगपे हाथ फेरे और मुंह को पोंछे,

थन-खीर और नयन-नीर से धरती  को सींचे ।

चतुर-सुजान मां को समझाते हैं

पकड़कर मां का कर               बोले प्यारे दामोदर,

                ‘’शुभ काम में ना करो दुख,

हमारे कुल का धर्म                  ‘’गोचारण’’ हमारा कर्म,

                करने से मिलेगा सुख ।

श्री बलराम और श्रीकृष्ण गोठ में जा रहे हैं –

 

 

( मां यशोदा और ब्रजवासियों का दुख) –

 

दिल में जले  अंगारा        आंखों से बहे धारा

                दुख से फट जाए,

जो है बिल्कुल अनजान            वह चला है वन

                मैया कैसे सह पाये ?

श्री गौरचन्द्र गोठ में जाने के भाव में



शचीनन्दन गोरा करे कितना प्यार

‘’धवली’’ ‘’शांवली’’ बोल पुकारे बार बार ।

वृन्दावन – १,२

|| श्री श्री वृन्दावनेश्वर्यै नमः ॥

वृन्दावनेश्वरी वयो गुण रूप लीला ,

सौभाग्य केलि करुणा जलधे’वधेहि ।

दासी भवानि सुखयानि सदा सकांतां ,

 त्वां आलिभिः परिर्वृतां इदमेव याचे ॥

हाय हाय मेरे वृन्दावनेश्वरी , तुम्हारे वय, रूप , गुण Read more >

प्रातः लीला – श्री श्री राधा-श्याम का नन्दालय के बाहर मिलन –

राह में गुज़रते वक़्त नैन हुये चार,

दिल को मिला चैन, आंखों में ख़ुमार ।