तुलसी को कुञ्ज बना के Neelu को कियो अर्पण

Another nice entry by our Vijay dada – all about Mother Jashoda shringaaring Neelu –

राधे राधे
 
आज लालजी सज रहे हे सिन्हान्सन पर
पित पीताम्बर धरी सज्यो सोड सिंगार
गले में सुंदर वैजती माला छोटी पहनाई
कमल जैसे नैन
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गोपाल चले गोचारण को

राधे राधे
 
आज भोली ब्रजेश्वरी ने लाला को सुंदर सिंगर कियो
मोहन की माता ने पिली धोती छोट्टी पहनाई और केश को सुंदर चुड़ो बनायो
माता ने अपने आखों से काजल नीकाल के गाल पर लगाई
मेरे मोहन को हुआ
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लुट गये !!! ओ लुट गये हम तेरे प्यार में………….



चोरी हुई है भारी चोरी हुई है भारी
मेरे  घर में चोरी हुई कल  को
लुट गई ब्रज गली  शोर कर रही  एक नारी 

ब्रज वासी निकल आये आगन में सुन के पुकार
किस ब्बात से चिला रही जरा खोल
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राई-कानू राधाकुण्ड के तट पर

(कभी तो राधारानी पहले ही पहुंच जाती हैं और श्यामसुन्दर उनको पहचान नहीं पाते) –

 

वृन्दा कहे ‘कान,            करो अवधान,

                नागरी है सरसी कूल,

करने देवता-पूजन,          लाई हूं करके जतन,

                वह देखो बकुल-मूल’ !