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नीलमणि चले वन, करने को गौ-चारण
जब वन जाते हैं कान्हा
और लगाते हैं वेणू का निशाना,
मैया नीलु को चेतावनी दे रही है –
मेरी कसम खाओ गौओं के आगे न जाओ
लाल नीलमणि, लूं तेरी बलई,
पास में चराना धेनू और बजाना मोहन-वेणू
ताकि घर बैठे मुझे दे सुनाई ।
Gour Amrit Bindu
After convincing the Kazi in Simantadwip to surrender to Harinaam, Prabhu and the kazi assured that no one would hereafter, ever again disturb Mahaprabhu’s Harinaam Sankirtan. In that Harinaam, billions and billions of Nabadweep Vasis took part the entire night … Read more >
कान्हा को विदा करते हुये
मैया अंगपे हाथ फेरे और मुंह को पोंछे,
थन-खीर और नयन-नीर से धरती को सींचे ।
चतुर-सुजान मां को समझाते हैं
पकड़कर मां का कर बोले प्यारे दामोदर,
‘’शुभ काम में ना करो दुख,
हमारे कुल का धर्म ‘’गोचारण’’ हमारा कर्म,
करने से मिलेगा सुख ।
श्री बलराम और श्रीकृष्ण गोठ में जा रहे हैं –
( मां यशोदा और ब्रजवासियों का दुख) –
दिल में जले अंगारा आंखों से बहे धारा
दुख से फट जाए,
जो है बिल्कुल अनजान वह चला है वन
मैया कैसे सह पाये ?
गोरा चले गो चराने
शचीनन्दन शचीदुलाल गोठ चले पगे पगे[1],
रोहिणी कुंवर निताइचांद आगे आगे भागे ।
श्री गौरचन्द्र गोठ में जाने के भाव में
शचीनन्दन गोरा करे कितना प्यार
‘’धवली’’ ‘’शांवली’’ बोल पुकारे बार बार ।
मां यशोदा कानू को गोठ-वेश में सजा रहीं हैं –
सुनकर संकेत-वेणु जो बजाया कानु
सुमुखी एक कमरे में किया प्रवेश,