५
निशान्त-काल में जागकर सखियां
ताके वृन्दा-देवी की ओर,
“रति-रस आलस में सोये हैं दोनों,
तुरन्त जगाओ, हो गयी भोर !
जाओ, जाओ, करो प्रयास !
राई को जगा कर ले जाओ घर,
अन्यथा होगा सर्वनाश !”
शरी-शुक … Read more >
५
निशान्त-काल में जागकर सखियां
ताके वृन्दा-देवी की ओर,
“रति-रस आलस में सोये हैं दोनों,
तुरन्त जगाओ, हो गयी भोर !
जाओ, जाओ, करो प्रयास !
राई को जगा कर ले जाओ घर,
अन्यथा होगा सर्वनाश !”
शरी-शुक … Read more >
४
राग विभाव
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मिट गया चन्दन, टूट गये आभूषण,
छूट गया कुन्तल[1]-बन्धा,
अम्बर[2]स्खलित, गलित कुसुमावली[3],
धुंधला दोनों मुखचन्दा ।
हरि ! हरि ! क्या कहूं ?
अब दोनों किशोरी-किशोर,
दोनों के स्पर्श-रभस… Read more >
राग भैरवी
सोये हैं गोराचांद विचित्र पलंग पर,
शयन-मन्दिर में शय्या अति मनोहर ।
प्रेमालस में अवश हैं नटराज गौर,
कैसे कहूं अंग-शोभा, शब्द नहीं और ।
मेघ[1] की बिजली[2] किसीने छानकर,
गोरा-अंग बनाया रस घोलकर … Read more >
Radhe! Just found a cool Buddhist discussion on celibacy…just helpful for many…avoiding anarthas etc.:
Also found a cool link at American Heart Yoga Association: http://www.americanyogaassociation.org/Heart%20chap%207.html Would rate A+++ to that as well! 🙂 Hope everyone benefits by these all!
Radhe Radhe!
ajñāna timirāndhasya jñānāñjana-śalākayā |
cakṣur unmilitaṁ yena tasmai śrī-gurave namaḥ || 1 ||
śrī-caitanya-mano’bhīṣṭaṁ sthāpitaṁ yena bhū-tale |
so’yaṁ rūpaḥ kadā mahyaṁ dadāti sva-padāntikam || 2 ||
śrī guru caraṇa padma, kevala bhakati sadma
bandoṅ mui sābadhāna sane … Read more >
A representative from India began: ‘Before beginning my talk I want to tell you something about Rishi
ब्रज कुंजोकी , सुन्दरता अनुपम
वृन्दा सजाके , करे मोहित युगल को
विविध रंगबिरंगी ,अन्नेक पूष्प
जिसकी सुगंध करे , लाल को आकर्षित
कुञ्ज मुखरित किया शुक , सारिका और
नाना प्रकार के सुंदर पंछियो से
जो करे लाल की … Read more >