An appeal From the Author

Sri Sri Bishnupriyā-Gourāngou Jayatah



ātma shodhibār tore duhsāhas koinu,

leelā-sindhur ek bindu sparshite nārinu.

(Adwaita Prakāsh, 22nd Chapter)

 

I was so impudent as to seek self-realization; however I could not touch even one drop from the ocean of the Read more >

Oh no ! It’s the Crooked One again !!

Sri Nabadweep-Chandra appears

 

Sakhi Kanchanā was mad in Gour-prem. The piteous cry from her crystal clear heart penetrated the tough walls of Neelāchal-Gambheerā   and right into the heart of Sri Krishna Chaitanya Mahāprabhu.  He was discussing Krishna-kathā with the devotees. Read more >

शय्या-सेवा की प्रार्थना

 

अटरिया पर सुन्दर बगीचा है । उसके बीचोबीच मैं आसन बिछाऊँगी । तुम सखियों के साथ खूशी से उसपर बैठोगी । कब वह दिन आएगा जब तुम्हारे मुख में ताम्बूल अर्पण करूँगी और तुम्हारे चरणों को वक्ष में धरकर संवाहन Read more >

गोधूलि धुसर श्याम कलेवर

सखाओं के साथ आये नन्द-दुलाल,

गोधुलि धुसर                श्याम कलेवर

जानू-लम्बित वनमाल ।

 

बार बार शृंग-वेनू रव सुनकर दौड़ आये ब्रजवासी,

आरती उतारें वधूगण, देखें मधुर मुस्कान-हंसी ।

 

पीताम्बर धर                मुख निन्दे विधूवर

नव-मंजरी अवतंस

अंगद-केयूर                  चुड़ा मयूर,

बजाये मोहन-वंस[2]Read more >

श्री श्री राधा-कृष्ण – शुक-शारी पाठ और पांसे का खेल –

राधा-माधव उठे शयन से अलस-अवश शरीर,

वनेश्श्वरी उस क्षण करके जतन लायी शारी-शुक कीर[1]

 

शुक-शारी को देखकर दोनों को हुआ आनन्द,

राई के इशारे पे वृन्दा पढ़ावे गीत-पद्य सुछन्द[2]

 

कानू के रूप लक्षण         शुक करे वर्णन,Read more >

प्रेम-वैचित्ति

 

भ्रमत गहन वन में जुगल-किशोर,

संग सखीगण आनन्द-विभोर ।

 

एक सखी कहे, “देखो देखो सखियन,

कैसे एक दूजे को देखें, अपलक अंखियन !’’

 

पेड़ हैं पुलकित, खुशबू[1] पाकर भ्रमर-गण

उनकी ओर[2] भागे त्यज फूलों का वन ।

 

दोनों Read more >

असली मोह तो स्वामिनीजु को ही होता है – भक्तों को नहीं

 

सखी-संग चलीं राह पर राई बिनोदिनी,

विषाद से व्याकूल दिल, कहे कुछ वाणी ।

श्याम, तुझसे मिलने का बहाना है

 

 

सुनकर तुलसी के वचन            सखियां हुयीं प्रसन्न

                चली करने  सुर्य-पूजन,

विधि के अगोचर            ऐसे उपहार लेकर

                पूज-तैयारी में हुयीं मगन ।

कन्हैयाजी ने तुलसी के हाथों भेजा गुञ्जा-मालिका और चम्पक फूल

तुलसी वहां आकर          बताये सब खबर

                सुनकर सुवदनी हरषाये,

राई कण्ठ में ललिता                पहिनाये गुंजा-मालिका

                कानों में चम्पक दिये ।