५
निशान्त-काल में जागकर सखियां
ताके वृन्दा-देवी की ओर,
“रति-रस आलस में सोये हैं दोनों,
तुरन्त जगाओ, हो गयी भोर !
जाओ, जाओ, करो प्रयास !
राई को जगा कर ले जाओ घर,
अन्यथा होगा सर्वनाश !”
शरी-शुक … Read more >
५
निशान्त-काल में जागकर सखियां
ताके वृन्दा-देवी की ओर,
“रति-रस आलस में सोये हैं दोनों,
तुरन्त जगाओ, हो गयी भोर !
जाओ, जाओ, करो प्रयास !
राई को जगा कर ले जाओ घर,
अन्यथा होगा सर्वनाश !”
शरी-शुक … Read more >
४
राग विभाव
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मिट गया चन्दन, टूट गये आभूषण,
छूट गया कुन्तल[1]-बन्धा,
अम्बर[2]स्खलित, गलित कुसुमावली[3],
धुंधला दोनों मुखचन्दा ।
हरि ! हरि ! क्या कहूं ?
अब दोनों किशोरी-किशोर,
दोनों के स्पर्श-रभस… Read more >
राग भैरवी
सोये हैं गोराचांद विचित्र पलंग पर,
शयन-मन्दिर में शय्या अति मनोहर ।
प्रेमालस में अवश हैं नटराज गौर,
कैसे कहूं अंग-शोभा, शब्द नहीं और ।
मेघ[1] की बिजली[2] किसीने छानकर,
गोरा-अंग बनाया रस घोलकर … Read more >
A representative from India began: ‘Before beginning my talk I want to tell you something about Rishi
ब्रज कुंजोकी , सुन्दरता अनुपम
वृन्दा सजाके , करे मोहित युगल को
विविध रंगबिरंगी ,अन्नेक पूष्प
जिसकी सुगंध करे , लाल को आकर्षित
कुञ्ज मुखरित किया शुक , सारिका और
नाना प्रकार के सुंदर पंछियो से
जो करे लाल की … Read more >
Poem by my loving Vijay dada –
मोहन-लाल शोभे , लाल रंग में
और साथ रही, वृषभानु की लाली ।
दोनों ने धारण कियो , लाल वस्त्र
मद भरे नयन , दोनों के अनुपम।
Dear Self,
It is a matter of much pride that the sacred land of Bharatavarsha, has been crucible to some of the world’s most vibrant spiritual traditions which flourished beyond religious divide for thousands of years. These traditions have … Read more >